देश में महज आठ फीसदी लोगों को ही संगठित क्षेत्रों में काम
मिला है और 92 फीसदी लोग असंगठित क्षेत्रों में खट रहे हैं
शेखर/ दिल्ली
अभी से ही 2010 में लागू होने वाली १२वी पंचवर्षीय योजना तैयार करने के लिए सुगबुगाहट तेज हो गई है पंचवर्षीय योजना को अंतिम रूप देने से पहले तैयारी होने अप्रोच पेपर के लिए योजना आयोग ने सभी राज्यों से विचार आमंत्रित किए हैं इसके किए आयोग ने अलग से एक वेबसाइट बनाई है और फेसबुक पर फोरम तैयार किए हैं बताते चलें की इसी अप्रोच पेपर के आधार पर पंचवर्षीय योजना को अंतिम रूप दिया जाता है पर इस अप्रोच पेपर को मंजूरी तब मिलती है, जब इसे कैबिनेट और राष्ट्रीय विकास निगम से हरी झंडी मिल जाए
बहरहाल, इस अप्रोच पेपर को तैयार करने से पहले १२वी पंचवर्षीय योजना में जिन क्षेत्रों पर खास ध्यान देने की जरूरत बताई जा रही है, न कि पहचान करने की दिशा में काम शुरू हो गया है इसमें पहली बात तो यह है की विकास दर को बनाए रखना और बढ़ोत्तरी करना बुनियादी तौर पर भले ही जीडीपी की अवधारणा में कुछ खामियां हो लेकिन आज भी इसे ही विकास का पैमाना माना जाता है इसी आधार पर यदि बात चीत को आगे बढ़ाये तो भारत के लिए आठ फीसदी की विकास दर को बनाए रखना ज्यादा मुश्किल काम नहीं है पर १२वी पंचवर्षीय योजना में इसे बढ़ाकर १० फीसदी करने की बात की जा रही है इसके अलावा अगली पंचवर्षीय योजना में परेशानी रोजगार सृजन के लिए जाने वाले उपायों पर होने की उम्मीद है इस मोर्चे पर पूरी दुनिया परेशान है पर भारत के लिए अच्छी बात यह है कि यहां अब भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां विकास को गति देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं लघु एवं मझोले उद्यमों के विकास पर ख़ास ध्यान नहीं दिया गया अगर पंचवर्षीय योजना में इस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाता है बेरोजगारों के प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था बनती है, तो इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बड़े पैमाने पर पैदा हो सकते हैं इसके अलावा आगामी योजना में उद्यमों के समग्र विकास के लिए वित्तीय संस्थाओं कि कार्यप्रणाली को आसान और इन्हें आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने कि दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है
अभी देश में महज आठ फीसदी लोगों को ही संगठित क्षेत्रों में काम मिला हुआ है और 92 फीसदी असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं ठेके पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ी है नियमित काम करने वालों और ठेके पर काम करने वालों के काम करने की परिस्थितियों में काफी फर्क है इस खाई को पाटना जरूरी है
यूं तो गरीबी उन्मूलन के लिए योजनाएं तो बहुत बनती है लेकिन उनका असर जमीनी स्तर पर दिखता नहीं है हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी काम करने में थोड़ी बहुत मदद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना से मिली है पर अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है
12वी पंचवर्षीय योजना में शहरी क्षेत्रों में भी रोजगार गारंटी योजना लागू करने का फैसला हो सकता है दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन चिंता का सबब बन गया है इसके तहत कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे यह सुनिश्चित हो कि प्राकृतिक संसाधनों का अनावश्यक दोहन नहीं होगा, लोगों को स्वच्छ पानी और हवा मिले इसके तहत अंधाधुंध औद्योगीकरण को काबू करने और कचरे के प्रबंधन के लिए तंत्र विकसित करने पर भी विचार करना होगा कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उपायों पर अमल करने पर स्पष्ट रणनीति बनानी होगी इसके लिए निजी गाड़ियों कि बढ़ती संख्या पर काबू पाना होगा और सार्वजनिक परिवाहन के ढ़ाचे को दुरुस्त करना होगा वहीं नदियों के बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए भी ठोस उपाय कि जरूरत है
11वी पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र के लिए सालाना विकास दर चार फीसदी तय किया गया था पर वह पाया नहीं जा सका इसलिए आगामी पंचवर्षीय योजना में यह सुनिश्चित किया जाए कि चार फीसदी विकास दर को हासिल करना है अभी किसानों को ना तो आसानी से कर्ज मिल रहा है और ना ही अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है ना ही उसे अपनी फसल के लिए बाजार मिल पा रहा है
देश में प्राथमिक शिक्षा कि सेहत सुधारने के लिए शिक्षा का कानून तो लागू हो गया लेकिन जमीन पर ठीक से उतर नहीं पा रहा है उच्च शिक्षा में भी प्रधानमंत्री विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय कि बात करते है लेकिन ज्यादातर विश्वविद्यालयों का बुनियादी ढांचा बेहद कमजोर है और शोध के मामले में हाल बेहद बुरा है स्वस्थ के क्षेत्र का भी बुरा हाल है
वही अर्थव्यवस्था के विकास कि दृष्टी से बुनियादी ढ़ाचे के विकास और उर्जा कि उपलब्धता बेहद अहम है वैकल्पिक उर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस रणनीति तैयार कि जानी चाहिए हालांकि, केंद्रीय उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि 12वी पंचवर्षीय योजना में सरकार का लक्ष्य मौजूदा बिजली उत्पादन क्षमता में एक लाख मेघावाट की बढ़ोत्तरी करने का है अभी भारत की शहरी आबादी तक़रीबन 30 करोड़ है, लेकिन आने वाले बीस सालों में इसके 50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है
जिस तेजी से शहरी आबादी बढ़ रही है उस तेजी से शहरों में बुनियादी ढांचा विकसित नहीं हो पा रहा है हालांकि, बुनियादी ढांचे को दुरूस्त करने के लिए 11वी पंचवर्षीय योजना में 2.११ लाख करोड़ रुपये की निजी निवेश का लक्ष्य रखा गया था यह पंचवर्षीय योजना समाप्त होने को है लेकिन अब भी निजी निवेश लक्ष्य से 60 फीसदी पीछे है और सिर्फ 86,700 करोड़ का निवेश हुआ है इसके बावजूद सरकार 12वी पंचवर्षीय योजना में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1,300 अरब डालर खर्च करने की योजना बना रही है बुनियादी ढांचे पर निवेश बढ़ाने की योजना का समर्थन विश्व बैंक ने भी किया है
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