Saturday, October 27, 2012

देश के विकास के लिए ग्राम-स्वराज ही एकमात्र विकल्प

ठाकुर दास बंग


भारत के चहुंओर  विकास के साथ हीं गांव को स्वाबलंबी बनाना हीं ग्राम स्वराज की परिभाषा है। आज कई गांव बड़े-बड़े उद्योग और उद्योगपति के साथ राजनेताओं के हत्थे चढ़ जाते हैं। गांवों को कई स्तर पर हेय दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि सरकार, उद्योगपति सोचते हैं कि सारी अर्थव्यवस्था वही चलाते हैं
ग्राम स्वराज जीवन के उन पहलुओं से होकर गुजरता है जहां जीवन का सदुपयोग हो सके और सत्ता निरंकुश न होकर जनता के हाथों में हो तथा जो गांव-गांव फैला हो, सभी वर्ग समान अधिकार से कार्य करे और सभी को उचित न्याय मिले। ग्राम-स्वराज गांधी जी की देन है जो यह बताती है कि सरकारी तंत्र की निरंकुश्ता से सतत् मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए चाहे वह सत्ता विदेशी हो या अपनी ;राष्ट्रीयद्ध। 
इसके लिए गांधी जी एवं हम जैसे उनके सहयोगी जेल गए, लाठियां खाई, गोलियां खाई और अंततः 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली, पर आज भारत आजाद है क्या? ग्राम स्वराज है क्या? नहीं! भारत में गांव वहीं के वहीं हैं। न उचित शिक्षा नजर आती है और ना हीं उसके लिए उचित प्रयास। सरकारी तंत्र बस काम करती है, काम करने के लिए उसका उचित सरोकार ग्रामीण परिवेश और उसके स्वराज से नहीं रह गया है। किसानों की स्थिति बद से बदत्तर होती जा रही है, वहीं दूसरी ओर गांव नशाखोरी और गुटखाखोरी के शिकार होते जा रहे हैं। कुछ जगह जैसे गढ़चिरोली एवं वर्धा इन मामलों में काफी अच्छी हैं और ग्राम स्वराज के अच्छे उदाहरण भी हैं। क्योंकि यहां अपनी मर्जी से शराब और गुटखा का त्याग किया गया है। ऐसे प्रयास हरियाणा और आंध्रप्रदेश के गांवों में भी हुआ पर असफल रहा। गांव स्वराज, गांवों को सुचारू रूप से चलाने की प्रक्रिया है। जिसके फलस्वरूप गांव के लोग शहर की तरफ पलायन न करें। बल्कि रोजगार की ऐसी व्यवस्था उनके लिए हो कि वह अपने परिवार और क्षेत्र को अच्छा बनाए रखें। गांवों में पर्याप्त मात्रा में सभी सुविधाओं का लाभ उठा सकें। परंतु आज आजादी के छह दशक बाद गांव खाली हो गए हैं। किसान मजदूर बन गए हैं और शहर में रहने चले गए हैं। जिससे कृषि काफी प्रभावित हुई है और साग-सब्जियां समेत अनाज काफी महंगे हो गए हैं। कई जगह तो किसानों की ऐसी स्थिति हो गई है कि किसान आत्महत्या तक करने लगे हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह ग्राम के विकास की ओर ध्यान दे ताकि ग्रामीण लोग भटके नहीं। ग्रामीण क्षेत्र में हीं अच्छी एवं सुविधाजनक स्थितियों का निर्माण कर राशन, शिक्षा एवं रोजगार की व्यवस्था करें। 
ग्राम स्वराज आज के समय में अधिक प्रासंगिक है। क्योंकि हम शहर में बड़े-बड़े उद्योग तो लगा रहे हैं परंतु जीवन में छोटी-छोटी चीजों का निर्माण आज भी गांव के वातावरण में संभव है। भोजन के लिए उपलब्ध होने वाली सामग्री हमें शहर या उद्योग से प्राप्त नहीं होता है। यह हमें गांव में खेती से ही प्राप्त होता है। आज सही समय पर उचित कार्य नहीं किया जा सके तो संभव है ग्राम-स्वराज रूपी गांधी जी की संकल्पना धाराशायी हो जाएगी। 
व्यक्ति से व्यक्ति का उचित मान और उसका विकास ग्राम स्वराज का ही रूप है। जिसका रूप अत्यंत विस्तृत है। परंतु गरीबी ने ग्राम को खत्म कर दिया है और शहर में भीड़ बढ़ा दिया है। भारत का चहुंओर से विकास ;क्षेत्रीय से राष्ट्रीय स्तर तकद्ध के साथ हीं गांव को स्वाबलंबी बनाना हीं ग्राम स्वराज की परिभाषा है। आज कई गांव बड़े-बड़े उद्योग और उद्योगपति के साथ राजनेताओं के हत्थे चढ़ जाते हैं। गांवों को कई स्तर पर हेय दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि सरकार एवं उद्योगपति सोचते हैं कि सारी अर्थव्यवस्था वही चलाते हैं। ऐसी स्थितियां भयावह हो जाती है। जिसकी वजह से कई अन्य विपरीत परिस्थितियां जैसे-बेरोजगारी, महंगाई एवं शहर की ओर लोगों का पलायन शुरू हो जाता है। ग्रामीण परिवेश में ही संपूर्ण रूप में स्वशासन की ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि वह देश की अर्थव्यस्था में अपना उचित कार्य का निर्वाह कर सके तथा अपनी जीवनशैली को उचित रूप में जी सके। 
जब गांव का विकास होना शुरू होगा तब राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं स्वराज को नई दृष्टि मिलेगी। महाराष्ट्र, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा जैसे प्रदेशों में ग्राम-स्वराज के कई प्रयास किए गए और हो भी रहे हैं। जिसके अंतर्गत गांव के लोगों को जिम्मेदारी का एहसास कराना कि किस प्रकार वह पिछड़ गए हैं और कौन-कौन से तरीकों से वह अपना-अपना विस्तार कर सकते हैं शामिल हैं। ग्राम-स्वराज को आज के समय में अधिक विस्तार की जरूरत है। समाज में आज ग्रामीण स्तर पर स्वराज रूपी बड़े जनांदोलन की जरूरत है।  द 
(श्री बंग ने देश के स्वाधीनता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। येे सर्व सेवा संघ नामक संस्था से जुड़े रहे हैं। इन्होंने गांधीजी के साथ सेवाग्राम में कई वर्ष काम किया है। आज 95 साल की आयु में भी ग्राम-स्वराज की बात करने पर इनके आंखों में चमक सी आ जाती है)

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