Monday, September 5, 2011

भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए सड़कों पर उतरी जनता



अरुण कुमार

पूरा देश इन दिनों एक स्वर में सड़कों पर भ्रष्टाचार के विरोध में खड़ा हो गया है. एक के बाद एक घोटालों, बढती महंगाई, सरकारी क्षेत्र में कुप्रबंधन ने देश को इस कद्र झकझोर के रख दिया है कि देश कि जनता को इसके खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ा. अन्ना हजारे के नेतृत्व में पूरा देश कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक ही सूत्र में बंधा दिखाई दे रहा है. मानो सभी भ्रष्टाचार से ऊब चुके हों और अब कह रहे हैं कि उनमे इसे सहने कि और अधिक शक्ति नही है. इसलिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में देश भ्रष्टाचार के विरोध में एक ऐसा सख्त कानून लाने कि मांग कर रहा है जिससे ये भ्रष्ट व्यवस्था अब आम और खास आदमी का खून और न चूस सके. लेकिन सरकारी तन्त्र न जाने क्या चाह्ता है वो इस व्यवस्था से निजात नही चाह्ता इसलिए जिस कानून को सारा देश समर्थन कर रह है सरकारी पक्ष इस से आंखें चुरा रहा है. वह इस सिविल सोसयिटी (नागरिक समाज) को ही भ्रष्ट बताने पर तुला है. लेकिन जब देश जाग जाता है तो देश मे क्रान्ति आ जाती है और कोइ भी झूठ ज्यादा समय तक नही टिकता. सरकार जिस झूंठ का पुलिन्दा अन्ना ओर उनके समर्थकों को भ्रष्ट बता कर बाँध रही थी उसे अन्ना को मिल रहे जनसमर्थन ने नाकर दिया जिस से सरकार के हाथ-पांव फूल गए. अन्ना १६ अगस्त से दिल्ली के रामलीला मैदान मे सरकार के खिलाफ धरने पर बैठें हैं.(दो दिनों तक अन्ना तिहाड मे ही धरने पर थे, जब दिल्ली पुलिस ने उन्हे धरनास्थल पर पहुचने से पहले ही उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था.)
अन्ना के समर्थन मे पूरे देश मे जगह- जगह धरने और प्रदर्शन चल रहे हैं. अन्ना हजारे की एक आवाज पर भ्रष्टाचार पर एक हुआ देश अन्ना को पूरा समर्थन कर रहा है ओर अपनी चुनी हुई सरकार को चेता रहा है कि वो इस बार भ्रष्टाचार के रोग की ये संजीवनी हासिल कर के ही रहेगा. आजाद भारत मे यह एक ऐसा गैर राजनीतिक जनसंघर्ष है जिसमे लोग इतने बढे स्तर पर पूरे देशभर मे एकजुट हो रहें हैं. स्कूल और कॉलेज के छात्र भी आना के आन्दोलन में बढ-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं. महात्मा गाँधी के पूर्व निजी सचिव और स्वंत्रता सेनानी श्री वेंकट कल्याणम कहते है की हमने जो लड़ाई अंग्रेजों से लड़ी थी वो अन्ना की लड़ाई से अधिक सरल थी वहां हमारा मुकाबला चरित्रवान अंग्रेजों से था. जबकि आज अन्ना हजारे चरित्रहीन लोगों से लड़ रहे हैं. श्री कल्याणम के कथन से ये समझा जा सकता है की मौजूदा व्यवस्था कितनी इमानदार है?

बहरहाल अन्ना हजारे के आन्दोलन कि मिल रहे समर्थन के बारे में यदि दिल्ली की ही बात करें तो यहाँ लोग हाथों में तिरंगा लिए जन लोकपाल बिल के समर्थन में नारे लगा रहे हैं. रात को मोमबतियां और मशाल ले के गली गली में सभाएं कर अन्ना के समर्थन में और लोगों को लाने का प्रयास कर रहे हैं. हर दिन बसों और दिल्ली कि लाइफ लाइन कही जाने वाली मेट्रो में सवार होकर आंदोलनकारी आना के समर्थन में नारे लगा रहे हैं वहीँ केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों समेत सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और समूची राजनितिक पार्टियों को कोस रहे हैं. अन्ना के इस आन्दोलन ने सभी राजनितिक दलों को आईना दिखा दिया है कि अब यदि वो भ्रष्टाचार पर लगाम नही कसेंगे तो वो इस देश कि सत्ता पर राज करने का भ्रम त्याग दें. दिल्ली पुलिस के मुताबिक रामलीला मैदान में राजाना १ से डेढ़ लाख लोग अन्ना के समर्थन में आ के हुंकार भर रहे हैं. सरकार अपना जनसमर्थन खिसकता देख कांप तो रही है लेकिन अपनी जिद्द नही छोड़ रही है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार सिविल सोसायटी का सख्त जन लोकपाल बिल को काननों के रूप में ले के आएगी या इस भ्रष्टाचार के जीवाणु को जिंदा रखने के लिए कोई तरकीब निकाल लेगी.

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