Saturday, January 16, 2016

कृषि भूमि पर महिलाओं का बढ़ता अधिकार

                                                        आशीष कुमार ‘अंशु’

महिलाओं के अधिकार क्षेत्र में देश की इस समय 01 करोड़ 65 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है। जो देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 10.30 फीसदी हिस्सा है


विश्व बैक द्वारा हाल मंे किए गए अध्ययन से यह बात स्पष्ट हुई है कि भारत की कृषि भूमि पर अब महिलाओं का अधिकार बढ़ा है। 2001-11 के प्राप्त आंकड़ों को आधार बनाकर किए गए अध्ययन में पाया गया है कि ऐसी जमीन जिस पर महिलाओं का अधिकार है, जिस पर उनका नियंत्रण है, जिस जमीन पर वे खुद खेती कर रहीं हैं, ऐसी जमीन में इस दशक में तेजी से वृद्धि हुई है।
वैसे इस तेजी से हुई वृद्धि के बाद भी महिलाओं के कब्जे में दस फीसदी ही जमीन है। महिलाओं की भागीदारी की बात करें तो कृषि भूमि पर इसमंे 36 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं इस दशक में उनके नियंत्रण के भूमि क्षेत्रफल में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। अब यह जानना दिलचस्प होगा कि महिलाओं में जहां मालिकाना हक को लेकर 36 फीसदी की वृद्धी दर्ज की गई, वहीं पुरुषों के बीच यह वृद्धि महज 13 फीसदी है। इस बीच महिलाओं का जमीन पर अधिकार जहां 24 फीसदी बढ़ा है, वहीं पुरुषों का कृषि भूमि पर अधिकार 02 फीसदी कम हुआ है।
महिलाओं के नियंत्रण मंे देश की कृषि भूमि की बढ़ोत्तरी एक शुभ संकेत है। भारत मंे हम जानते हैं कि पारंपरिक तौर से महिलाआंे को पुरुषांे के मुकाबले कम अधिकार मिले है। यह बात विश्व बैंक के अध्ययन से भी साबित हुई है कि महिलाओं का जमीन पर अधिकार होगा तो यह उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा। उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगा। इससे देश में उनकी आर्थिक सामाजिक स्थिति में भी सुधार आएगा।
महिलाआंे के अधिकार क्षेत्र में देश की इस समय 01 करोड़ 65 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है। जो देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 10.30 फीसदी हिस्सा है।
इस अध्ययन के सार्वजनिक होने के कुछ दिनों पहले ग्रामीण विकास राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा था कि सरकार स्त्री अधिकारों के लिए देश व्यापी जागरूकता का एक कार्यक्रम प्रारंभ करने वाली है। जो महिलाओं के सामाजिक आर्थिक अधिकार, कानूनी अधिकार और भूमि पर अधिकार को लेकर समाज में जो पूर्वाग्रह और भेदभाव की सोच है, उसे दूर करने का प्रयास करेगी।
महिलाओं के बढ़ते कदमों को प्रमाणित करता यह अध्ययन बदलाव की आहट है, इसे सुने और इस बदलाव का हम सब मिलकर स्वागत करें। क्योंकि स्त्री पुरुष बराबरी सिर्फ राजनीतिक नारा बनकर ना रह जाए।

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