Friday, January 20, 2012

14 साल में खोद दिया तालाब


शैलेन्द्र सिन्हा
झारखंड के एक किसान श्यामल चैधरी ने अपनी लगन से पटवन की समस्या का हल खोजा,14 वर्षों तक लगातार मिट्टी खोदकर तालाब बनाया और इतिहास रच दिया। ऐसा ही कारणामा बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी ने भी किया था,उसने पहाड को काटकर सडक का निर्माण किया था। पहाड को काटकर सडक बनाने की बात तब सोची जब उसकी पत्नी का ईलाज कराने में पहाड बाधक बना था। दशरथ मांझी की पत्नी की मौत इसी पहाड के कारण हुई थी,सडक के नहीं होने का मलाल उसे साल रहा था, गाँव में अब और कोई बीमार ईलाज के बिना नहीं मरे, इसलिए उसने ऐसा करने की सोची थी। दशरथ मांझी की कहानी आज किताबों में चल रही है जिसका शीर्षक है-पहाड से ऊँचा आदमी, दशरथ मांझी के मेहनत का सब लोहा मान गये, उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया है। आज दशरथ को भला कौन नहीं जानता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने उन्हें सम्मानित किया और उन्हें अपनी कुर्सी पर बिठाया था। ठीक ऐसी ही कहानी है झारखंड के किसान श्यामल चैधरी का, चैधरी ने प्रखंड के अधिकारी से पटवन के लिए एक तालाब की मांग की थी, लेकिन नहीं मिला। तालाब नहीं दिये जाने पर उसने तालाब खोदने की सोची। श्यामल चैधरी ने 14 वर्ष के अथक परिश्रम से अपने गाँव में तालाब खोद कर इतिहास रच डाला, उनकी उम्र मात्र 65 वर्ष है। किसान श्यामल चैधरी को आज कोई नहीं जानता। अकेले दम पर तालाब खोदा, 14 साल तक मिट्टी काट-काट कर तालाब बनाकर ही दम लिया। सुखजोरा पंचायत के विशुनपुर, कुरूआ गाँव के श्यामल आज किसानों के आदर्श बन गये हैं, लेकिन उन्हें मलाल है कि आज तक उनके काम को किसी ने सराहा नहीं है। बताते हैं कि वह प्रतिदिन दो चैका मिट्टी काटकर इसे अंजाम तक पहुंचाया, उसने तालाब खोदने में किसी से मदद नहीं ली। स्वाभिमानी किसान अपनी धुन में लगा रहा, वह तालाब खोदने का काम वर्ष 1997 में शुरू किया था, वर्ष 2011 में तालाब का काम पूर्ण किया। यह तालाब सौ गुणा सौ की लंबाईवाला है, जिसकी गहराई 22 फीट है। इस तालाब से कुरूआ, पेटसार, मरगादी, बेलटिकरी, विशुनपुर और बैगनथरा सहित कई गांवों के किसान खेतों में पटवन कर रहें हैं। चैधरी के पास अपना 9 बीघा जमीन है, जिसमें आलू, प्याज, केला, आम के पेड लगे हैं। तालाब में वह मछली का उत्पादन कर रहा है, जिस्से उनकी आय बढ़ी है। चैधरी तालाब को खोदकर बेहद खुश हैं, उनका कहना है कि मेरा जीवन धन्य हो गया, किसानों को पटवन की समस्या का हल मिल गया, तालाब में वर्ष भर पानी रहता है। चैधरी कृषि विभाग से गार्ड वाल और सिंचाई के लिए पंपिग सेट व पाईप की मांग की, लेकिन उन्हें वह भी नहीं मिला। अधिकारी उनकी सुनते कहाँ हैं, वह अपनी पीड़ा से कृषि मंत्री सत्यानंद झा को अवगत कराना चाहा, वहां भी निराशा ही हाथ लगी। ऐसे सफल किसान को तो सरकार से प्रोत्साहन मिलना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नही रहा है,ऐसे किसान ही समाज के रोल माडल बन सकते हैं। श्यामल चैधरी अब भी निराश नहीं हुए हैं। दशरथ मांझी की तरह वह अपने धुन का पक्का है, वह किसानों को जगाने और उन्हें अपनी क्षमता को अहसास कराने के लिए किसानों के साथ बैठकें कर बता रहें हैं। श्यामल खुश हैं कि उनका जीवन धन्य हो गया और आसपास के किसानों आज उनको अपनी प्रेरणा मान रहें हैं। श्यामल आज अपनी जमीन पर कई तरह के फसल लगाकर अच्छी आमदनी कमा रहें हैं। आठवीं पास श्यामल के निर्णय पर शुरू में लोग उन्हें ताना दे रहे थे, लेकिन बिना किसी बात की परवाह किये अपनी धुन में वह लगे रहे। जमीन का सीना चीरकर तालाब खोदने पर वह गर्वान्वित हैं। श्यामल को चार बेटी और एक बेटा है,जिसकी परवरिश खेती से वह कर रहें हैं। हम होंगे कामयाब के तर्ज पर श्यामल ने किसानों को आज एक राह दिखाई है।

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